sumansahay

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कुछ पन्ने जिंदगी के

अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे,
जिसको न मिले वही ढूंढे ..

रात आयी है, सुबह भी होगी,
आधी रात में कौन सुबह ढूंढे..

जिंदगी है जी खोल कर जियो,
रोज़ रोज़ क्यों जीने की वजह ढूंढ़े..

चलते फिरते पत्थरों के शहर में,
पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढ़े..

धरती को जन्नत बनाना है अगर,
हर शख्स खुद में पहले इंसान ढूंढे…!!!

 
     writen by 
     suman

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

04-Sep-2021 04:02 PM

वाह

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Renu Singh"Radhe "

04-Sep-2021 02:27 PM

बहुत खूब

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sumansahay

04-Sep-2021 02:36 PM

thkx

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Miss Lipsa

04-Sep-2021 02:26 PM

Wow nice.....

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sumansahay

04-Sep-2021 02:36 PM

thnku

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